26-Feb-2022 06:55 PM
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सतना 26 फरवरी (AGENCY) मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने आज कहा कि नानाजी देशमुख के दर्शन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति की चुनौतियों का समाधान है।
डॉ यादव ने यह बात नानाजी की 12 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर चित्रकूट के दीनदयाल उद्यमिता परिसर के विवेकानंद सभागार में नानाजी की दृष्टि में राष्ट्र निर्माण, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संदर्भ में विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में कही। उन्होंने कहा कि नानाजी देशमुख का शैक्षिक चिंतन भी उनके अन्य सामाजिक आयामों के चिंतन की तरह ही अति विशिष्ट और नयापन लिए हुए था। देश ने जिस महत्वाकांक्षी दस्तावेज राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भारत निर्माण के लिए आवश्यक शिक्षा का सपना देखा है, उसे नानाजी ने चित्रकूट में वर्ष 1991 में सोच रखा था।
उन्होंने कहा कि यह जानकार सुखद अनुभूति होती है जब नानाजी के शैक्षिक चिंतन पर आधारित नवाचार और अभिनव प्रयोग के रूप में चित्रकूट के ग्रामोदय विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ प्रारंभ हुए हैं। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों को पूरी तत्परता और समर्पण के साथ प्रतिबद्धता पूर्वक लागू करने वाले राज्यों में सबसे आगे है। उन्होंने कहा कि नानाजी के चिंतन के विचार राष्ट्रीय शिक्षा नीति में समाहित हैं। यदि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधान प्रभावी ढंग से लागू होते हैं तो नानाजी का शैक्षिक चिंतन भी देश के कोने कोने में पहुंचेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के समग्र रूप में लागू किए जाने की जो चुनौतियां सम्मुख हैं उन पर विचार विमर्श कर उन्हें और प्रभावी बनाने के लिए एक रोडमैप, एक ब्लूप्रिंट बनाया जाये। यही इस संगोष्ठी का प्रमुख लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि विश्वास है कि इस राष्ट्रीय विमर्श से निकले निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में मील का पत्थर साबित होंगे।
प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ त्रिलोचन महापात्र ने कहा कि आज जो शिक्षा के किसी भी आयाम पर देश सोच रहा है उसे नानाजी ने तीन दशकों पहले ही क्रियान्वित करना प्रारंभ कर दिया था यह उनकी दूरदृष्टि थी। नानाजी का चिंतन सदैव समग्रता पर रहा है और इसलिए उन्होंने कृषि विश्वविद्यालय होते हुए भी ग्रामोदय विश्वविद्यालय की परिकल्पना की थी, जिसमें ग्रामीण जीवन के बहुआयामी जीवन के समस्त पक्षों को प्रधानता मिल सके।
संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रदीप जोशी ने नानाजी ने वर्षो पूर्व शिक्षा में नौकरी के बजाय स्वाबलंबी पर जोर दिया था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में आत्मनिर्भर भारत का स्वर सबसे मुखर है। मुझे विश्वास है कि संगोष्ठी के निष्कर्ष पूरे देश को दिशा देने वाले होंगेे।
ग्रामोदय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और राष्ट्रीय संगोष्ठी के संयोजक प्रो नरेश चंद्र गौतम ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति और नानाजी के विचारों में बड़ी समानता है। गौर से देखें तो लगता है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 नानाजी के अभिलाषा और अपेक्षाओं का जीवंत दस्तावेज है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सम्मुख उपस्थित चुनौतियों का सर्व सम्मत समाधान खोजने की दिशा में यह एक दूरगामी और निर्णायक पहल है।
दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव अतुल जैन ने कहा नानाजी के संकल्पों को साकार करना ही उनको दी गई सच्ची श्रद्धांजलि है। ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो भरत मिश्रा ने कहा कि हमारा विश्वविद्यालय नानाजी के शैक्षिक चिंतन का जीवंत स्मारक है। इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधान लोकव्यापी होकर जन जन तक पहुंचते हैं और भारत के विश्व गुरु बनने की आधारशिला रखते हैं तो सबसे अधिक प्रसंन्नता महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय और दीनदयाल शोध संस्थान को ही होगी।
इस मौके पर स्कूल शिक्षा मंत्री इंद्र सिंह परमार, संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो प्रदीप जोशी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक और भारत में कृषि शिक्षा के सचिव डॉ त्रिलोचन महापात्रा के साथ प्रदेश के अनेक विश्वविद्यालयों के कुलपतियों सहित प्रदेश से बाहर के 12 राज्यों के कुलपति उपस्थित थे।...////...