ओरछा
यह प्राचीन शहर अभी भी वर्तमान समय से अछूता और मध्ययुगीन आभा को बरकरार रखे हुए है। यहां के शानदार किला परिसर में दर्शनीय महल और मंदिर देखने को मिलते है। इनमें जहांगीर महल, राज महल, राय प्रवीण महल, राम राजा मंदिर, चतुर्भुज मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर आदि महत्वपूर्ण हैं। इन महलों और मंदिरों को 16 वीं और 17 वीं शताब्दी के दौरान बनाया गया था और यह वास्तुकला के चमत्कार बन गये है। यह बुंदेला के सुंदर भित्ति चित्र के साथ सजे हैं।
कैसे पहुंचे ;दिल्ली, भोपाल, इंदौर और मुंबई से इंडियन एयरलाइंस की नियमित उड़ाने ग्वालियर को जोड़ती है, जो नजदीकी हवाई अड्डा है। यह दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-चेन्नई मुख्य रेलवे लाइनों पर स्थित है। उत्तर प्रदेश में झांसी (19 किमी) ओरछा के लिए नजदिकी रेलवे स्टेशन है।
इंदौर
18 वीं सदी में बनाए गए इंद्रेश्वर मंदिर से इंदौर नाम प्राप्त हुआ है। मालवा पठार के केंद्र में स्थित यह शहर मराठा पेशवाओं द्वारा मल्हारराव होलकर को दिया गया था। बहादुर होलकर रानी, रानी अहिल्याबाई द्वारा नियोजित और निर्मित इंदौर, राज्य के अती पश्चिमी क्षेत्र में है। यह शहर होलकर राजवंश की राजधानी हुआ करता था और इसे एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। इस शहर में मध्ययुगीन होलकर राजवंश के साथ जुड़े कुछ दिलचस्प स्मारक भी है। किसी समय, प्रमुख कपड़ा व्यापार केन्द्र रह चुका इंदौर, आज आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में विकास करनेवाला एक संपन्न शहर है, जिसे मध्य प्रदेश की मुंबई भी कहा जाता है। यहां उल्लेखनीय औद्योगिक वृद्धि देखी गई और इस शहर ने राज्य की वाणिज्यिक राजधानी का ओहदा प्राप्त किया है। आर्थिक गतिविधि का एक प्रमुख केंद्र होने के नाते इंदौर, बड़े उद्योगपति और निर्माताओं, थोक और खुदरा विक्रेताओं, प्रसिद्ध होटल समूहों और छोटे केटरर्स, हर एक के लिए विकास और समृद्धी करने के मौके प्रदान करता है। फास्ट फूड हैंगआउट, चकाचौंध शॉपिंग मॉल, मल्टीप्लेक्स और डिस्कोथेक ने इंदौर को एक मेट्रो शहर बना दिया है।
ऑटोमोबाइल उद्योग की एक बड़ी संख्या के आधार पर भारत का डेट्रायट कहलानेवाला पीथमपुर, इंदौर के पास स्थित है। कई आतिथ्य समूहों ने इंदौर में अपने पांच सितारा और सात सितारा होटलों की स्थापना की है। यह उज्जैन, धार, मांडू, ओंकारेश्वर और महेश्वर जैसे महत्वपूर्ण पर्यटक स्थलों के लिए एक प्रवेश द्वार समान है।
ग्वालियर के प्रमुख पर्यटक स्थलों में निम्नलिखित स्थान शामिल है।
- राजवाड़ा
- बड़े गणपति
- लाल बाग पैलेस
- छतरी बैग
- काँच मंदिर
- केंद्रीय संग्रहालय
- गांधी हॉल
- अन्नपूर्णा मंदिर
कैसे पहुंचे ;आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग पर इंदौर स्थित है और यह भोपाल से 186 किमी दूर है। दिल्ली, मुंबई, ग्वालियर और भोपाल से इंदौर के लिए नियमित उड़ानें हैं। यह एक टर्मिनल रेलवे स्टेशन है। इंदौर रेल मार्ग से दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, ग्वालियर और भोपाल के साथ सीधे जुड़ा हुआ है।
धार
यह परमार राजाओं की राजधानी थी, जिनमें राजा भोज का नाम मशहूर है। दिल्ली सल्तनत के शासन के दौरान यह शहर मुस्लिम प्रभाव में आया था। धार की वास्तुकला में हिन्दू, अफगान और मुगल शैली का एक संयोजन दिखाई देता है। धार के भोजशाला मंदिर की देवी की छवि को अब लंदन के ब्रिटिश संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया है।
कैसे पहुंचे;
धार इंदौर से 60 किमी दूर है और दिल्ली,ग्वालियर, भोपाल, मुंबई से इंदौर के लिए नियमित उड़ानें उपलब्ध हैं।
बाग की गुफाएं
एक पड़ोसी गांव के नाम पर नामित बाग की गुफाएं, विंध्य पहाड़ियों की दक्षिणी ढलानों के बीच, धार से 97 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। खुदाई की गई चट्टान बाग नदी से 150 फुट ऊपर हैं, जो आसपास के बेसाल्टी क्षेत्र के बीच बलुआ पत्थर का होने के कारण उल्लेखनीय है। तथापि, बलुआ पत्थर से ऊपर, मिट्टी के पत्थर का गहरा क्षेत्र दिखाई देता है और इस नम क्षेत्र का अत्यधिक वजन ही गुफाओं की क्षति का सबसे बडा कारण है। गुफाओं के दायरे का विस्तार 45.72 मीटर की दूरी तक है, लेकिन वे सभी निकटस्थ नहीं हैं।
ओंकारेश्वर
ओंकारेश्वर नर्मदा और कावेरी नदियों के संगम पर स्थित है। सुंदर वातावरण के बीच ओंकार मंधाता के मंदिर में प्रतिष्ठापित ओंकारेश्वर बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मध्ययुगीन मंदिर ब्राह्मणी शैली में बनाया गया है, जो नर्मदा नदी और इसकी धारा कावेरी से घीरा हुआ है। मंदिर की वास्तुकला शानदार है। गौरी-सोमनाथ मंदिर, द्वीप पर स्थित सिद्धनाथ मंदिर और आदि शंकराचार्य की एक गुफा, यहाँ के अन्य महत्वपूर्ण स्थान हैं।
कैसे पहुंचे;
निकटतम हवाई अड्डा इंदौर है, जो यहां से 77 किलोमीटर की दूरी पर है। दिल्ली, मुंबई, भोपाल और ग्वालियर से इंदौर के लिए उड़ानें उपलब्ध हैं। रतलाम-खंडवा अनुभाग पर ओंकारेश्वर निकटतम रेलवे स्टेशन है।
महेश्वर
महेश्वर नर्मदा नदी के तट पर बसा एक सुंदर शहर है। इसका पुराना नाम महिष्मति है। देवी अहिल्या बाई ने होलकरों की राजधानी के रूप में यह स्थान बसाया। महारानी अहिल्या बाई द्वारा यहां बनाया गया खुबसूरत किला, घाट, अहिल्या संग्रहालय, कालेश्वर, राज राजेश्वर और विट्ठलेश्वर के मंदिर, पेशवा घाट और होलकर परिवार के सदस्यों की कब्र पर बने मंडप जैसी सुंदर रचनाए देखने लायक है। अहिल्या घाट से सहस्त्रधारा तक 3 किमी की नौका विहार की सैर एक रोमांचकारी अनुभव है। महेश्वर अपनी रेशमी और सूती साड़ी के लिए मशहूर है।
कैसे पहुंचे;
इंदौर से 90 किलोमीटर दूर इस स्थान पर इंदौर-उज्जैन-खंडवा-ओंकारेश्वर सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। निकटतम रेलवे स्टेशन बरवाह यहां से 39 किमी दूर है।
Created: 06-May-2024 11:37 AM
Last Update: 2024-05-06 11:37 AM